कला साहित्य

(((कसरी)))

(((कसरी)))

   लेखक आनन्द आत्मारमण 

जन्मनु नै त जित हो खै कसरी हारौ म।।
प्रकृति को उपहार किन पर सारौ म।।
दया माया करुणा भाव जागिसके पछि।
बिर्सिएर त्योअतीत खै कसरी माया मारौ म।।

आकास को फल त्यो खै कसरी झारौ म।।
आफुलाइ सफलतामा खै कसरी पारौ म।।
हरेक प्रहर प्रयासलाई निरंतरता दिएपछी।
प्राप्त भएको कर्मफल स्विकार गर्दै हारौ म।।

सिखर पुग्ने लक्ष्यलाई  किन तल पारौ म।।
आइपरेको यो बिपत्ती खै कसरी टारौ म।।
अमुल्य छ जीवन यो सत्य थाहा पाएर।
प्राण छदै खै कसरी अब मृत्यु स्विकारौ म।।